Aquarius Sign: कुम्भ लग्न से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी
कुंभ धनिष्ठा के दो चरण, शतभिषा के चार चरण और पूर्वभाद्रपद नक्षत्र के तीन चरण से मिलकर बनती है. कुंभ का स्वामी शनि होता है. कुंभ के अलावा मकर वालों का भी शनि लग्नेश होता है. वैसे इस लग्न में जन्मे लोग मकर वालों से ज्यादा आध्यात्मिक होते हैं. एक बात समझ लेनी चाहिए कि किसी भी जीव को कुंभ तभी प्राप्त होती है जब उसका संचित कर्म फलित होने की स्थिति में होता है. यदि कुंडली में ग्रह स्थिति अच्छी हो तो कुंभ वाले धन के मामले में अन्य लग्नों से ज्यादा भाग्यशाली होते हैं।
बुद्धि प्रखर और स्मरण शक्ति अच्छी होती है – कुंभ वाला जातक दार्शनिक विचारों का होता है. कुंभ लग्न वाले का हृदय कोमल होता है. ऐसा जातक किसी के दुखों को देख स्वयं ही दुखी हो जाता है. यह किसी को तड़पते नहीं देख सकता है. यह अपने शत्रुओं के हित में भी सोचता है. दूसरों के भावों से प्रभावित होकर सहज ही द्रवित हो जाता है. कुंभ वाले व्यक्ति में एक खास बात यह होती है कि दूसरों की सहायता करने को सदैव अग्रसर रहता है. इस लग्न वाले की बुद्धि प्रखर होती है. इसकी स्मरण शक्ति भी काफी अच्छी होती है. यह वक्त पड़ने पर दूसरों से बहुत चतुराई से अपना काम निकाल लेने में माहिर होता है.
आर्थिक रूप से संपन्न होते हैं – कुंभ लग्न का व्यक्ति प्राय: सुंदर होता है उसके होंठ सुंदर होते है. कुंडली में केतु की स्थिति अच्छी हो जाए तो जातक सामान्य से ज्यादा लंबा हो जाता है. कुंभ में एकादश और द्वितीय अर्थात लाभ और कोष का स्वामी गुरु ही होते हैं. साधारण सी बात है कि जब आय और कोष का स्वामी एक ही होगा तो लाभ और उसे संचित करने का तारतम्य भी बहुत अच्छा होगा. चूंकि यह लाभ गुरु करा रहा है तो वह कुछ धन धर्म के कामों में खर्च करवाता है. जिन लोगों की कुंडली में गुरु बलवान स्थिति में होता है, ऐसे जातक करोड़पति होते हैं. कुंभ वाले जातक को अपनी बात को स्वीकार न किए जाने पर बड़ा क्रोध आता है.
हर बात की तह तक पहुंचते हैं – इस लग्न वालों का क्रोध भी कुछ अजीबोगरीब तरीके का होता है. यह किस बात से नाराज हो गए हैं, पता लगाना मुश्किल होता है. फिर गुस्से में बहुत उग्र हो जाते है. अकसर देखा गया है कि यह लोग गुस्से में अपना ही नुकसान कर लेते हैं. इन सब बातों के बाद एक बात जरूर ध्यान देने वाली है कि इनका गुस्सा बहुत जल्दी ही ठंडा हो जाता है. कुंभ वाले को यदि किसी बात में शक हो जाए तो वह उस बात की सच्चाई की तह तक पहुंच कर ही दम लेते हैं. इस लग्न वाले व्यक्ति में सफलता प्राप्त करने का जुनून सा होता है और वह इस सफलता को पाने के लिए बहुत मेहनत कर सकता है.
अपनी बात को प्रभावशाली तरीके से रखते हैं – कुंभ वाले व्यक्ति में लगन बहुत होती है. इस लग्न में जातक अपनी बात को बहुत प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करते हैं. इस लग्न के लोग बातचीत में अपनी पूरी क्षमता प्रदर्शित करते हैं. इस लग्न वालों के लिए शुक्र बहुत शुभ फल देने वाला होता है. शुक्र नवम और चतुर्थ का स्वामी अर्थात भाग्य और सुख का स्वामी होता है. भाग्येश होने के कारण यह परमकारक ग्रह हो जाता है. जब कुंभ वाले को शुक्र की महादशा या अंतरदशा मिलती है तब उस समय कुंभ वाले को शुभ फल प्राप्त होता है. इस लग्न में मंगल दशमेश और तृतीयेश होने के काऱण यह अपने कर्म को साहस के साथ करते हैं. इस लग्न वाले जातक को अपने कर्म में सफलता जन्म स्थान से बाहर ही मिलती है और यह जन्म स्थान से दूर ज्यादा साहस के साथ काम करने में सक्षम होते हैं.
उच्चाधिकारियों से संबंध अच्छे होते हैं – कुंभ वाले जातकों की सरकार से अच्छी बनती है या फिर सरकार या बॉस की नीतियों का समर्थन करते हैं. इसके पीछे कारण यह है कि कुंभ वाले का प्राकृतिक मित्र सिंह राशि वाला होता है और सिंह का अर्थ है राजा या सरकार. कुंभ लग्न वाले जातक भाग्य पर कर्म से ज्यादा विश्वास करते हैं. शनि लग्नेश होने के कारण इस लग्न वालों को नीलम रत्न धारण करना चाहिए. नीलम के धारण करने से इनमें समझदारी, प्रतिरोधक क्षमता और आत्मबल भी बढ़ जाता है. शुक्र परम योगकारक ग्रह है. इसलिए हीरा रत्न धारण करने से कुंभ वालों को बहुत लाभ होता है. हीरे को पहनने से भाग्य में वृद्धि तो होती ही है. साथ ही भौतिक सुखों में भी बढ़ोत्तरी होती है. पन्ना और माणिक को कुंडली के ग्रहों की स्थिति देखने के बाद ही धारण करना चाहिए.
शुभ गृह – शनि लग्नेश व् द्वादशेश, बुध पंचमेश व् अष्टमेश, तथा शुक्र चतुर्थेश व् नवमेश होकर करक हैं।
अशुभ गृह – सूर्य सप्तमेश , मंगल त्रित्येष व् दशमेश, गुरु द्वितीयेश व् एकादशेश होकर मारक हैं।
तटस्थ गृह – कुम्भ लग्न में चंद्र तटस्थ होता है।
शुभवार – बुधवार, शुक्रवार एवं शनिवार शुभ एवं भाग्य कारक दिन होते हैं। बुध, मंगल तथा गुरुवार मिश्रित शुभाशुभ फल प्रदायक होते हैं। जबकि रविवार तथा सोमवार प्रायः साधारण अथवा अशुभ फल प्रदान करते हैं।
शुभरंग – नीला, काला, संतरी, आसमानी, भूरा रंग शुभ होंगे। पीला, हरा मिश्रित प्रभाव रखेंगे। जबकि सफेद व लाल रंग अशुभ रहेगा।
शुभ रत्न – नीलम
शनि मंत्र – ॐ प्रां प्रीं प्रों स: शनैश्चराय नमः
भाग्यशाली अनुकूल वर्ष – 20, 23, 25, 28, 33, 36, 38, 42, 48, 52, 56 वां वर्ष।
भाग्यशाली अंक – 2, 3 व 9 अंक भाग्योन्नतिकारक रहते है।