भारत की इन जगहों पर नहीं मनाई जाती दिवाली, जानिए इसके पीछे की दिलचस्प वजह

लाहौल और स्पीति, हिमाचल प्रदेश का एक प्रमुख क्षेत्र है जहाँ दिवाली का उत्सव नहीं मनाया जाता। इसके पीछे की मुख्य वजह मौसम और प्रकृति से जुड़ी हुई है। यहाँ सर्दियाँ बहुत कठोर होती हैं और सर्दियों के आगमन के साथ ही लोग अपने घरों में बंद हो जाते हैं। चूंकि लाहौल और स्पीति के लोग ज्यादातर बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं, वे भारतीय कैलेंडर के अनुसार दीपावली की बजाय “लोसर” पर्व मनाते हैं, जो नववर्ष के आगमन का प्रतीक होता है। लोसर त्यौहार के दौरान लोग पारंपरिक नृत्य करते हैं और एक नए साल का स्वागत करते हैं।
केरल के कुछ खास इलाकों में भी नहीं मनती है दिवाली
भारत के दक्षिणी राज्य केरल में भी कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ दिवाली का उत्सव मनाने का प्रचलन नहीं है। केरल में मान्यता है कि दिवाली के दिन ही उनके महान राजा महाबली की मृत्यु हुई थी। केरल के लोगों के लिए महाबली राजा बहुत पूजनीय हैं और उनकी याद में ओणम का त्योहार मनाया जाता है। दिवाली का दिन उनके लिए शोक का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इसे उत्सव के रूप में नहीं मनाया जाता।
पश्चिम बंगाल में माँ काली की पूजा का विशेष महत्व है, और यहाँ दिवाली के बजाय काली पूजा का पर्व मनाया जाता है। इसे “श्यामा पूजा” भी कहते हैं, और इस दिन बंगाल में माँ काली की विशेष पूजा होती है। हालाँकि, इस दौरान दीप जलाने का रिवाज होता है, लेकिन इसे दिवाली की तरह नहीं माना जाता। यह बंगाल की विशेष संस्कृति और परंपरा को दर्शाता है, जहाँ शक्ति की देवी काली का स्थान बहुत महत्वपूर्ण है।
मिजोरम और नागालैंड के ईसाई समुदाय
भारत के पूर्वोत्तर राज्य मिजोरम और नागालैंड में ज्यादातर ईसाई धर्म के अनुयायी रहते हैं। यहाँ लोग क्रिसमस को सबसे बड़े पर्व के रूप में मनाते हैं। इसके कारण, दिवाली का त्यौहार यहाँ प्रचलित नहीं है। हालांकि, हाल के वर्षों में कुछ शहरों में दिवाली मनाई जाती है, लेकिन इसे पारंपरिक उत्सव की तरह नहीं देखा जाता है।
<!–googletag.cmd.push(function() {googletag.defineOutOfPageSlot(‘/1031084/Webdunia_Innovations_OOP’, ‘div-gpt-ad-1536932236416-0’).addService(googletag.pubads());});–><!–
–>